नई दिल्ली16 मिनट पहले
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बांग्लादेश में सत्यजीत रे का घर लगभग 100 साल पहले बनाया गया था। 1947 में बंटवारे के बाद यह संपत्ति बांग्लादेश सरकार के अधीन हो गई थी।
भारत ने मंगलवार को बांग्लादेश से प्रसिद्ध फिल्ममेकर और साहित्यकार सत्यजीत रे की पैतृक संपत्ति को ध्वस्त करने के फैसले पर रोक लगाने की अपील की। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश सरकार से कहा कि उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने करना चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘हमें बहुत दुख है कि बांग्लादेश के मैमनसिंह में स्थित सत्यजीत रे के पुश्तैनी घर को ध्वस्त किया जा रहा है। यह घर सत्यजीत रे के दादा और प्रख्यात साहित्यकार उपेंद्रकिशोर रे चौधरी का था। यह संपत्ति अभी बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व में, जर्जर अवस्था में है।’
मंत्रालय ने कहा, ‘यह इमारत बांग्ला सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। इमारत के इतिहास को देखते हुए बेहतर होगा कि इसे साहित्य संग्रहालय और भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति के प्रतीक के तौर पर मरम्मत और पुनर्निर्माण के विकल्पों पर विचार किया जाए। भारत सरकार इसके लिए मदद देने को तैयार है।’
सत्यजीत रे एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म डायरेक्टर, लेखक, संगीतकार और चित्रकार थे। उन्हें विश्व सिनेमा के बड़े फिल्मकारों में से एक माना जाता है। बांग्लादेश में सत्यजीत रे का घर लगभग सौ साल पहले बनाया गया था। 1947 में बंटवारे के बाद यह संपत्ति बांग्लादेश सरकार के अधीन हो गई थी।

विदेश मंत्रालय ने 15 जुलाई को बांग्लादेश सरकार को सत्यजीत रे के घर की मरम्मत के लिए मदद की पेशकश की थी।
ममता बनर्जी ने कहा- यह इमारत बंगाल के इतिहास से जुड़ी सत्यजीत रे के पुश्तैनी घर को लेकर भारत सरकार की यह प्रतिक्रिया उन रिपोर्टों के बाद आई है जिनमें कहा गया था कि बांग्लादेशी अधिकारी इस इमारत को गिराने वाले हैं। इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेशी अधिकारियों से घर गिराने के कदम की आलोचना की थी।
ममता ने कहा कि यह इमारत बंगाल के सांस्कृतिक इतिहास से गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘मैं बांग्लादेश सरकार और उस देश के सभी जागरूक लोगों से इस विरासत के संरक्षण के लिए कदम उठाने की अपील करती हूं।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से भी इस मामले में दखल देने की अपील की थी।

ममता बनर्जी ने X पर पोस्ट में सत्यजीत रे के पुश्तैनी घर को बचाने की अपील की थी।
सत्यजीत रे का घर तोड़कर सेमी कंक्रीट बिल्डिंग बनाने की तैयारी बांग्लादेशी में बाल मामलों के अधिकारी, मोहम्मद मेहदी जमान ने लोकल मीडिया को बताया कि सत्यजीत रे के घर का इस्तेमाल मैमनसिंह बाल एकेडमी के तौर पर किया जा रहा था। हालांकि, इसकी जर्जर स्थिति के कारण बच्चों के लिए यह खतरा बन गया था।
बांग्लादेशी अधिकारी के मुताबिक, पिछले कई सालों से यह घर वीरान पड़ा था। इसलिए जरूरी मंजूरी के बाद इमारत को गिराने का काम किया जा रहा है। यहां पर शैक्षणिक गतिविधियां शुरू करने के लिए नई सेमी कंक्रीट बिल्डिंग बनाने की तैयारी है।

सत्यजीत ऑस्कर से लाइफटाइम अचीवमेंट पाने वाले एकमात्र भारतीय

सत्यजीत रे ने कुल 37 फिल्मों का निर्देशन किया था।
सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित बंगाली परिवार से थे और उनके दादा उपेन्द्रकिशोर रे चौधरी एक प्रसिद्ध लेखक और चित्रकार थे। सत्यजीत रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना मिली।
यह बंगाली भाषा में रिलीज हुई तीन फिल्मों की सीरीज ‘अपु त्रयी’ का पहला पार्ट थी। 1955 में रिलीज हुई पाथेर पांचाली, 1956 में रिलीज हुई अपराजितो और 1959 में रिलीज हुई अपुर संसार को ‘अपु त्रयी’ कहा जाता है।
सत्यजीत रे ने कुल 37 फिल्मों का निर्देशन किया। इनमें फीचर फिल्में, डॉक्यूमेंट्री, और शॉर्ट फिल्में शामिल हैं। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऑस्कर कमेटी ने लाइफटाइम अचीवमेंट का ऑस्कर पुरस्कार कोलकाता में उनके घर आकर दिया था। लाइफटाइम अचीवमेंट ऑस्कर पाने वाले सत्यजीत पहले भारतीय फिल्ममेकर हैं।
सत्यजीत ने अपनी कई फिल्मों का संगीत खुद दिया। वे डायलॉग्स भी खुद ही लिखते थे। भारत सरकार ने उन्हें 1965 में पद्म भूषण, 1976 में पद्म विभूषण, और 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न जैसे देश के उच्चतम नागरिक सम्मान दिए। 23 अप्रैल 1992 को कोलकाता में उनकी मौत हो गई।
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