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मूवी रिव्यू- भूल चूक माफ: इमोशंस और ह्यूमर से भरी फिल्म, कहानी में मिठास है पर कसावट नहीं


14 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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राजकुमार राव और वामिका गब्बी स्टारर फिल्म ‘भूल चूक माफ’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म की कहानी ऐसी है जो बड़े ट्विस्ट या थ्रिल के भरोसे नहीं चलती। इसकी ताकत है इसके किरदार, रिश्तों की सादगी और जिंदगी के सीधे-सपाट अनुभव। यह फिल्म बताती है कि इंसानी गलतियों को माफ करना और दूसरा मौका देना भी जीवन का सुंदर हिस्सा है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 1 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी कैसी है?

यह कहानी है बनारस के रंजन (राजकुमार राव) और तितली (वामिका गब्बी) की, जो एक-दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं और शादी करना चाहते हैं। लेकिन तितली का परिवार तभी शादी के लिए तैयार होता है जब रंजन को सरकारी नौकरी मिल जाए। रंजन एक चालाक तरकीब से नौकरी पा तो लेता है, लेकिन जैसे ही शादी की डेट तय होती है, हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि शादी अधर में लटक जाती है। क्या रंजन इस बार भी कोई रास्ता निकालेगा? यही फिल्म का क्लाइमैक्स तय करता है, जहां एक मजबूत सामाजिक संदेश भी दिया गया है।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?

राजकुमार राव एक बार फिर अपने सहज अभिनय से रंजन को जीवंत बना देते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और इमोशनल गहराई दोनों ही असरदार हैं। वामिका गब्बी तितली के किरदार में कुछ दृश्यों में काफी प्रभावशाली लगीं, और उनकी केमिस्ट्री राजकुमार के साथ फ्रेश लगती है।

संजय मिश्रा, सीमा पाहवा और रघुबीर यादव जैसे कलाकार फिल्म में हंसी और दिलचस्पी का तड़का लगाते हैं। इनका साथ जाकिर हुसैन भी देते हैं।

डायरेक्शन कैसा है?

करण शर्मा ने एक सरल कहानी को दिलचस्प ट्विस्ट देने की कोशिश की है। लेकिन स्क्रीनप्ले थोड़ा फैला हुआ और धीमा महसूस होता है, खासकर इंटरवल से पहले। कुछ दृश्य तो फिल्म को बोरियत की ओर ले जाते हैं। इंटरवल के बाद फिल्म मजेदार मोड़ लेती है और कुछ सीन वाकई हंसी ला देते हैं। हालांकि अंत में सामाजिक संदेश देते-देते फिल्म थोड़ी प्रीची लगने लगती है।

बनारस की पृष्ठभूमि दिखाने की कोशिश अच्छी थी, लेकिन भाषा की असंगति (कभी अवधी, कभी बुंदेलखंडी) और माहौल की कमी खटकती है। कुछ वन-लाइनर्स अच्छे हैं, लेकिन कई संवाद व्हाट्सएप फॉरवर्ड जैसे लगते हैं।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

‘टिंग लिंग सजना’ और ‘चोर बाजारी फिर से’ जैसे गाने कहानी में घुलने की कोशिश करते हैं, पर उनका प्रभाव सीमित रहता है। संगीत औसत है और कहानी को उठाने में पूरी तरह सफल नहीं होता।

फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं?

अगर आप दिनेश विजन और मैडॉक फिल्म्स के फैन हैं और एक हल्की-फुल्की पारिवारिक फिल्म देखना चाहते हैं जिसमें रिश्तों की मिठास हो, थोड़ी हंसी हो और अंत में एक दिल को छू लेने वाला मैसेज मिले — तो ‘भूल चूक माफ’ एक बार जरूर देख सकते हैं नहीं तो OTT पर भी देख सकते हैं।

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