7 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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लोकप्रिय वेब सीरीज ‘आश्रम’ में अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाने वाली एक्ट्रेस त्रिधा चौधरी की फिल्म ‘सो लॉन्ग वैली’ 25 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। हाल त्रिधा और फिल्म के निर्माता-निर्देशक और एक्टर मान सिंह ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।
शूटिंग के दौरान का एक किस्सा शेयर करते हुए त्रिधा ने बताया कि वे गिरने से बची थीं। वहीं मान सिंह ने कहा कि बहुत अभाव और कम संसाधन फिल्म बनाई है। इसके पीछे पूरी यूनिट और फिल्म के कलाकारों ने बहुत सपोर्ट किया। फिल्म के बारे में त्रिधा और मान सिंह ने और क्या कहा, पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश में ..

‘सो लॉन्ग वैली’ में त्रिधा चौधरी के अलावा आकांक्षा पुरी और विक्रम कोचर की लीड भूमिका है।
सवाल- त्रिधा चौधरी को फिल्म में लेने का ख्याल कैसे आया?
जवाब/ मान सिंह- इस फिल्म का कनेक्शन रियल लाइफ के बहुत करीब है। जब फिल्म की स्क्रिप्ट पूरी हो गई तब फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर ने त्रिधा चौधरी को कास्ट करने का सुझाव दिया। मैं त्रिधा की नेचुरल एक्टिंग से बहुत इंस्पायर हूं।
जब एक कॉप नेचुरल एक्टिंग करता है तो परदे पर उसका एक अलग ही फील आता है। त्रिधा ने फिल्म में अपने किरदार को जिस तरह से जीवंत किया है। मुझे लगता है कि इस किरदार के लिए उनसे बेहतर और कोई नहीं हो सकता था।
सवाल- त्रिधा, आपने कई तरह के अलग-अलग चैलेंजिंग किरदार निभाए हैं। कभी टाइपकास्ट नहीं हुईं, इस बार आप कॉप के किरदार में नजर आएंगी। क्या प्रोसेस था?
जवाब/त्रिधा चौधरी- सबसे अच्छा प्रोसेस प्रोजेक्ट का चयन करना होता है। उसके बाद सोचती हूं कि फिल्म में जिस तरह का किरदार है। क्या उसके साथ न्याय कर पाऊंगी? इसमें हिमाचली कॉप की भूमिका निभा रही हूं। यह एक अलग तरह का किरदार है। मैंने इसे चैलेंज की तरह लिया।

सवाल- रियल लाइफ में आप काफी अलग हैं। आपके किरदार में एक गंभीरता और ठहराव दिखाता है। वह कैसे लेकर आती हैं?
जवाब/त्रिधा चौधरी- एक इंसान के जीवन में नवरस बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यही चीज किरदार में भी होता है। बाकी फिल्म के डायरेक्टर गाइड करते हैं कि किरदार में और कैसे निखार लाना है। हालांकि पहले थोड़ी नर्वस थी, लेकिन टीम ऐसी मिली कि सब कुछ सहज हो गया।
सवाल- मान, आपने फिल्म में एक्टिंग भी की है। किस तरह का अनुभव था?
जवाब/मान सिंह- इसमें थोड़ा अड़ियल किस्म के कॉप की भूमिका निभा रहा हूं। बहुत ही मजेदार अनुभव रहा है। मैंने मनाली में देखा है कि पुलिस ऑफिसर दिखने में तो बहुत क्यूट होते हैं, लेकिन क्रिमिनल से बहुत सख्ती से पेश आते हैं। मैंने उन्हें देखा, ऑब्जर्व किया और किरदार में उतारने की कोशिश की।
सवाल- आज की तारीख में फिल्म बनाकर थिएटर तक पहुंचना आसान नहीं होता है। आप ने यह कैसे कर लिया?
जवाब/मान सिंह- जब किसी प्रोसेस को जीना शुरू कर देते हैं तब अच्छे लोग जुड़ने लगते हैं। इस फिल्म की जर्नी भी वैसी ही है। सोचा, लिखा फिर शूटिंग की। अच्छे लोग जुड़ते गए और यह फिल्म थिएटर में रिलीज हो रही है।
सवाल- त्रिधा, आपने इस तरह के लेडीज सिंघम को असल जीवन में बहुत देखे होंगे, आप का किरदार किसी से इंस्पायर है?
जवाब/त्रिधा चौधरी- मैंने इस किरदार को एक पुलिस ऑफिसर की नजरिए से नहीं, बल्कि एक औरत के नजरिए से भी देखा। मुझे लगता है कि औरत में बहुत ताकत होती है। ऐसी बहुत सारी औरतें हैं, जिनको देख कर बढ़ी हुई हूं। वहीं से इंस्पायर हूं।

एक्टर मान सिंह फिल्म के निर्माता-निर्देशक भी हैं।
सवाल- शूटिंग के दौरान किस तरह की चुनौतियां आईं?
जवाब/मान सिंह- इस फिल्म की पूरी शूटिंग मनाली के वास्तविक लोकेशन पर हुई है। उस समय माइनस सेवन तापमान था। थोड़ी बहुत मुश्किलें आईं, लेकिन सभी ने बहुत मेहनत से काम किया।
सवाल- इस फिल्म की यूएसपी क्या है, फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद लोगों की किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिलीं?
जवाब/मान सिंह- इस फिल्म से लोग कनेक्ट हो, इस बात का हमने बहुत ख्याल रखा है। क्राइम-थ्रिलर हमारे समाज के बीच की चीज है। कैब ड्राइवर और पैसेंजर के बीच काफी हादसे सुनने को मिलते हैं। इस तरह की तमाम चीजें इस फिल्म में देखने को मिलेगी।
सवाल- शूटिंग के दौरान की कोई यादगार क्षण जिसे आप लोग शेयर करना चाहें?
जवाब/त्रिधा चौधरी- क्लाइमेक्स की शूटिंग हमने जंगल में किया था। जब हम किरदार निभाते हैं तो आस पास की चीजों पर ध्यान नहीं रहता है। मैं अचानक वहां गिरने वाली थी, लेकिन बच गई। वह सीन भी इस फिल्म का एक हिस्सा है।
मान सिंह- जंगल में लगातार 6 घंटे शूटिंग कर रहे थे। उस दौरान त्रिधा कुर्सी पर नहीं बैठीं। जब कलाकार अपने किरदार को जीते हैं तब उनके अंदर एक अलग तरह की एनर्जी होती है। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस माहौल में शूटिंग कर रहे हैं। इसमें सारे एक्शन और फाइट सीक्वेंस रियल लगेंगे।
सवाल- मान, आपने छोटे से शहर से आकर बड़ी खूबसूरत फिल्म बनाई है। आगे का एंबीशन किया है?
जवाब/मान सिंह- बस जर्नी अच्छे से चलती रहे और अच्छी फिल्में बनाते रहें। रही बात इस फिल्म की तो हमने इसे बहुत लगन और समर्पण के साथ बनाया है।
सवाल- उतार चढ़ाव से किस तरह से पार पाते हैं?
जवाब/मान सिंह- जब लगता है कि किसी दिन स्ट्रगल ज्यादा हो गया तब आराम करता हूं। अगले दिन नई ऊर्जा और सोच के साथ काम पर लग जाता हूं। मेरा मानना है कि बिना छुट्टी लिए काम पर लगे रहें, रास्ते अपने आप बनते जाएंगे।
सवाल- आप एक्टिंग करने आए थे, डायरेक्शन कहां से सीखे?
जवाब/मान सिंह- जब मैं सत्यदेव दुबे जी के मार्गदर्शन में थिएटर में परफॉर्म कर रहा था। तब मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। थिएटर में एक्टिंग के अलावा भी हर काम करना पड़ता है। अमरीश पुरी साहब एक नाटक ‘डेढ़ इंच ऊपर’ कर रहे थे। मैं बैक स्टेज था।
उनको परफॉर्म करते देख बहुत कुछ सीखने को मिला। एक दिन अचानक एक सेट पर चला गया वहां सेकेंड यूनिट का डायरेक्टर नहीं आया था। वहां मुझे डायरेक्ट करने का पहली बार मौका मिला। मुझे ऐसा लगा कि आगे मैं डायरेक्ट कर सकता हूं। इससे पहले कुछ शॉर्ट फिल्में डायरेक्ट की थी।

सवाल- त्रिधा कभी आपने डायरेक्शन के बारे में सोचा है?
जवाब/त्रिधा चौधरी- क्रिएटिव फील्ड में जो भी होता है उसे सबको सीखनी चाहिए। मैंने किसी से पूछा था कि कोई लेडीज सिनेमैटोग्राफर क्यों नहीं होती है? इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि मैं सिनेमैटोग्राफर बनना चाहती हूं। रही बात डायरेक्शन का तो अगर मौका मिले तो मजा आ जाए, लेकिन जरूरी नहीं कि वह फिल्म ही हो।