5 घंटे पहले
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दिव्यांगजनों का मजाक उड़ाने मामले में समय रैना मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाज गॉट लेटेंट होस्ट समय रैना समेत पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को तलब किया था। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने एक कॉमेडी शो के दौरान स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी (SMA) से पीड़ित लोगों समेत दिव्यांग व्यक्तियों का मजाक उड़ाया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सभी इंफ्लुएंसर को दो सप्ताह के अंदर याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा। साथ ही, चेतावनी दी कि उन्हें इससे ज्यादा समय नहीं दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में सभी इन्फ्लुएंसर की उपस्थिति जरूरी है और इसका पालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा। वहीं, इन्फ्लुएंसर सोनाली ठक्कर को फिजिकल कंडीशन के कारण अगली सुनवाई में वर्चुअल रूप से उपस्थित होने की अनुमति दी गई है।

बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि को सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइन पर काम करने का आदेश दिया, जो फ्रीडम ऑफ स्पीच और दूसरों के अधिकारों और सम्मान के बीच संतुलन बनाए रखे। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अभिव्यक्ति की आजादी मौलिक है, लेकिन यह दूसरों के अधिकारों के हनन की कीमत पर नहीं आ सकती। अदालत ने ऐसे दिशानिर्देशों को लागू करने की चुनौती पर भी ध्यान दिलाया।
पूरा मामला क्या है?
इंडियाज गॉट लेटेंट शो में पेरेंट्स पर अश्लील कंटेंट के आरोप में फंसे समय रैना पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने शो में रेयर बीमारी से पीड़ित बच्चे पर आपत्तिजनक कमेंट किया था। उन पर ये आरोप क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया की तरफ से लगाया गया है।
फाउंडेशन ने कोर्ट को बताया कि समय रैना ने दैट कॉमेडी क्लब में स्टैंडअप में कहा था- ‘देखो चैरिटी अच्छी बात है, करनी चाहिए। मैं एक चैरिटी देख रहा था, जिसमें एक दो महीने का बच्चा है, जिसे कुछ तो क्रेजी हो गया है। जिसके इलाज के लिए उसे 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन चाहिए।
समय ने शो में बैठी एक महिला से सवाल किया था- मैम, आप बताइए…अगर आप वो मां होतीं और आपके बैंक में 16 करोड़ रुपए आ जाते। एक बार तो अपने पति को देखकर बोलती ना कि महंगाई बढ़ रही है, क्योंकि कोई गांरटी नहीं है कि वो बच्चा उस इंजेक्शन के बाद भी बचेगा। मर भी सकता है। सोचो इंजेक्शन के बाद मर गया। उससे भी खराब सोचो कि 16 करोड़ के इंजेक्शन के बाद बच्चा बच गया, फिर बड़ा होकर बोले कि मैं पोएट बनना चाहता हूं।

फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कंटेंट को परेशान करने वाला बताया था। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था- हम इन आरोपों से सचमुच परेशान हैं, हम ऐसे मामलों को रिकॉर्ड में रखते हैं।