सिकंदर मूवी रिव्यूः सलमान की फिल्म में लॉजिक की कमी: प्लॉट में कई खामियां, ओवरएक्टिंग करती दिखी स्टारकास्ट, एआर मुरुगदास की सबसे हल्की फिल्म

सिकंदर मूवी रिव्यूः सलमान की फिल्म में लॉजिक की कमी:  प्लॉट में कई खामियां, ओवरएक्टिंग करती दिखी स्टारकास्ट, एआर मुरुगदास की सबसे हल्की फिल्म


2 मिनट पहले

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सलमान खान, रश्मिका मंदाना स्टारर फिल्म सिकंदर 31 मार्च को रिलीज होने वाली है। अगर आप भी फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले इसका रिव्यू जरूर पढ़िए-

कैसी है फिल्म की कहानी?

फिल्म सिकंदर राजकोट के राजा संजय उर्फ सलमान खान की कहानी है, जिन्हें राजकोट की जनता भगवान का दर्जा देती है। फिल्म की शुरुआत में मिनिस्टर के बेटे अर्जुन (प्रतीक बब्बर) को फ्लाइट में एक महिला के बुरा व्यवहार करते दिखाया जाता है। मौके पर मौजूद संजय, अर्जुन का वहीं सबक सिखा देता है। अर्जुन, इस बेइज्जती का बदला लेना चाहता है, जिसके चलते मिनिस्टर के गुंडे संजय के पीछे पड़ जाते हैं।

इस बदले की लड़ाई में संजय अपनी पत्नी साईंश्री को खो देता है, जिसका किरदार रश्मिका मंदाना ने निभाया है। साईंश्री मरने से पहले अपना अंगदान करती है, जिससे 3 अलग-अलग लोगों की जान बच जाती है।

अब मिनिस्टर के गुंडे उन तीन लोगों की भी तलाश में जिन्हें अंगदान किया गया है, वहीं दूसरी तरफ संजय पत्नी की मौत का बदला लेने और उन तीन लोगों को बचाने के लिए राजकोट से मुंबई पहुंच जाता है।

वो तीन लोग कैसे मिलेंगे, मिनिस्टर उनकी तलाश क्यों कर रहा है और संजय उन्हें बचा सकेगा या नहीं, इसी सस्पेंस के साथ फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है।

कैसी है स्टारकास्ट की एक्टिंग?

संजय का रोल निभा रहे सलमान खान की एक्टिंग में कोई नयापन नहीं है। फिल्म में सलमान ने एक्शन तो भरपूर किया, लेकिन उनके ह्यूमर और कुछ कॉमेडी डायलॉग्स हंसाने में नाकाम रहे हैं। साथ ही उनके इमोशनल डायलॉग्स भी इमोशनल नहीं नहीं करते हैं। रश्मिका मंदाना ने कम स्क्रीनटाइम होने के बावजूद ठीक-ठाक काम किया है। कास्टिंग की बात करें, तो शरमन जोशी अपने किरदार में फिट नहीं बैठते हैं। प्रतीक बब्बर, सत्यराज और किशोर कुमार जी भी कई हिस्सों में एक्स्ट्रा एफर्ट लगाए हैं, जो पावरफुल कम और ओवरड्रामेटिक ज्यादा लगता है।

कैसा है फिल्म का डायरेक्शन?

फिल्म के राइटर और डायरेक्टर एआर मुरुगदास की ये फिल्म अब तक की सबसे हल्की फि्लम मानी जा सकती है। कहानी में शुरुआत से आखिर तक प्लॉट में कई खामियां दिखती हैं। स्क्रीनप्ले की गलतियां भी साफ नजर आ रही हैं। फिल्म के कई सीन ऐसे हैं, जिन्हें सिर्फ फिलर और समय बढ़ाने के लिए डाला गया है। उनके बिना भी फिल्म बनती तो कहानी में कोई खास फर्क नहीं पड़ता। फिल्म में इमोशन्स और लॉजिक की कमी के चलते दर्शक फिल्म के कनेक्ट नहीं कर पाएंगे।

कैसा है फिल्म का म्यूजिक?

आम तौर पर सलमान खान की फिल्मों की खासियत उनके दमदार गाने और म्यूजिक होता है, लेकिन इस फिल्म में म्यूजिक इंप्रेस करने में फेल रहा है। कुछ सीन में बैकग्राउंड साउंड ठीक है, पर वो भी दर्शकों के जहन में जगह नहीं बना सके।

फिल्म देखें या नहीं?

अगर आप सलमान खान के बड़े फैन हैं और उन्हें बड़ी स्क्रीन पर देखना चाहते हैं, एक्शन देखना चाहते हैं और उनका स्टाइल देखना चाहते हैं, तो आपको फिल्म पसंद आएगी। लेकिन कहानी, स्क्रीनप्ले ऐसा है कि अगर आप सलमान के फैन नहीं हैं, तो 150.08 मिनट की ये फिल्म आपको बोर कर देगी।

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