8 मिनट पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता
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9 जून से सोनी सब पर एक नया रोमांटिक-कॉमेडी ड्रामा ‘उफ्फ… ये लव है मुश्किल’ शुरू हो गया है। इस शो में शब्बीर अहलूवालिया ‘युग सिन्हा’ के रोल में दिख रहे हैं। इसमें उनका किरदार एक वकील का है। इस पर उनसे हुई खास बातचीत…
इस शो के कॉन्सेप्ट के बारे में कुछ बताइए?
यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जो पारंपरिक मेलोड्रामा से हटकर है। यह रिश्तों की जटिलता, विचारों के टकराव और भावनाओं की गहराई को दर्शाती है। युग सिन्हा एक ऐसा इंसान है जिसने प्यार में धोखा खाया है और उसे प्यार से नफरत है, जबकि कैरी शर्मा (आशी सिंह) प्यार और किस्मत में विश्वास रखती है।
शो में इन दोनों विपरीत सोच वाले किरदारों के बीच की खट्टी-मीठी नोंक झोंक और टकराव देखने को मिलेगा। शो में एक अनोखे परिवार की कहानी भी दिखाई जाएगी, जहां रिश्तों की जटिलताओं और जीवन की हलचल को हल्के-फुल्के और हास्यपूर्ण तरीके से दिखाया गया है।

युग के किरदार की तैयारी के लिए आपने क्या किया?
इस शो में ‘युग सिन्हा’ के किरदार को निभाने के लिए काफी मेहनत की है। अपने इस किरदार को बेहतर बनाने के लिए 14 किलो वजन भी कम किया है। यह किरदार मेरे पहले के ‘आदर्श पति’ वाली भूमिकाओं से काफी अलग है। युग एक ऐसा व्यक्ति है जो दिल से नहीं, दिमाग से फैसले लेता है और अपनी भावनाओं को छिपाकर रखता है। कुल मिलाकर, ‘उफ्फ… ये लव है मुश्किल’ एक ताज़गी भरा रोम-कॉम है जो रोमांस, कॉमेडी और फैमिली ड्रामे का एक कॉम्बिनेशन है।
क्या कभी सक्सेस को संभालने में थोड़ी मुश्किल हुई?
सक्सेस स्थायी नहीं होती, कभी आती है तो कभी नहीं। हर प्रोजेक्ट में पूरी मेहनत करता हूं, लेकिन उसका चलना या न चलना दर्शक और ऊपरवाले के हाथ में होता है। पिछला शो नहीं चला तो क्या, अगला चल सकता है। यही जीवन का हिस्सा है।
फिल्मों के बावजूद आपकी पहचान टेलीविजन से बनी। इसे कैसे देखते हैं?
मैंने फिल्मों में निगेटिव रोल किए, लेकिन जो स्क्रिप्ट और किरदार टीवी पर मिलते हैं, वो फिल्मों में नहीं मिले। मेरे लिए मीडियम से ज्यादा मायने स्क्रिप्ट का होता है। मैं लकी हूं कि हर मीडियम के साथ अपने फैंस को इंगेज कर पाया हूं। चाहे मूवी हो, ओटोटी हो या टेलीविजन हो। सच बात यह है कि मुझे जिस तरह के रोल टेलीविजन में मिलते हैं, वैसे रोल फिल्मों में नहीं आते हैं।

मैं फिल्में सिर्फ करने के लिए नहीं करना चाहता। मेरे पास टेलीविजन एक खूबसूरत मीडियम है, जिसके जरिए न सिर्फ इंडिया में अपने ऑडियंस तक पहुंच पाता हूं, बल्कि हर देश में उपस्थिति दर्ज करवाता हूं।
आप और आपकी पत्नी कांची कौल एक ही इंडस्ट्री से हैं, टाइम मैनेजमेंट कैसे करते हैं?
हम दोनों एक-दूसरे को पूरा समय देते हैं। शूटिंग से फुर्सत मिलते ही घर लौटता हूं। जब साथ वक्त बिताते हैं तो गिले-शिकवे की कोई जगह नहीं रहती।
करियर बनाने में फैमिली का कितना रोल रहा?
फैमिली को बहुत क्रेडिट जाता है। फैमिली के बिना आप कुछ नहीं हैं। लाइफ में अप और डाउन आता-जाता रहता है। सुखी फैमिली की वजह से कभी प्रेशर महसूस नहीं होता है। फैमिली के साथ बैठकर कभी खाना खा लिया, तब कभी फैमिली के साथ बैठकर पिक्चर देख लिया तो कभी क्रिकेट और फुटबॉल खेल लिया। जीवन में परिवार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। मैं दोनों चीजों को बहुत महत्वपूर्ण समझता हूं कि एक सुखी परिवार और दूसरा दोस्तों वाला परिवार। मजे के साथ हंसते-खेलते रहिए वरना जिंदगी क्या है! फैमिली के साथ जो रिस्पॉन्सबिलिटी है, वह कम लगती है और एंजॉयमेंट ज्यादा लगता है।
कांची कौल अभिनय से दूर क्यों हैं। क्या आप दोनों साथ भी दिखेंगे?
यह उनका खुद का फैसला है। बच्चों के शुरुआती सालों में वो उनके साथ रहना चाहती थीं। अब जब बच्चे थोड़े बड़े हो गए हैं, तो वो जल्द काम पर लौट सकती हैं। अगर कोई अच्छा प्रोजेक्ट आया और दोनों को पसंद आया, तो जरूर साथ काम करेंगे लेकिन अभी कोई योजना नहीं है।

क्या प्रोडक्शन की तरफ फिर से लौटना चाहेंगे?
फिलहाल एक्टिंग में व्यस्त हूं। जब वक्त मिलेगा और कोई दमदार स्क्रिप्ट मिलेगी, तभी दोबारा प्रोडक्शन में कदम रखूंगा। मैं कोई प्लानिंग करके नहीं चलता। अगर कोई अच्छा प्रोजेक्ट आया, उसे सुनकर काम करने का मन किया, तब कर लेता हूं। अगर मन नहीं किया, तब घर पर बैठकर एंजॉय करता हूं।
इतनी कम उम्र की हीरोइन के साथ स्क्रीन शेयर करना कैसा अनुभव रहा?
नए कलाकारों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आशी बहुत पॉजिटिव हैं। उनकी एनर्जी और मेहनत लाजवाब है। वो टैलेंटेड हैं और उनका भविष्य उज्ज्वल है।