50 Years Of Sholay: यहां से लिया गया गब्बर का किरदार, क्लाइमैक्स में हुआ बदलाव; ऐसे बनकर तैयार हुई शोले

50 Years Of Sholay: यहां से लिया गया गब्बर का किरदार, क्लाइमैक्स में हुआ बदलाव; ऐसे बनकर तैयार हुई शोले



भारतीय सिनेमा के सौ साल से भी ज्यादा के सफर में कुछ ही फिल्में ऐसी हैं, जो सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि हमारी आम जिंदगी का हिस्सा बन जाए। लेकिन आज से पचास साल पहले आई फिल्म ऐसा कर गई कि पांच दशक बाद भी वो फिल्म हमारी जिंदगी का हिस्सा है। फिल्म का एक-एक सीन और एक-एक डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर बना हुआ है। आप समझ ही गए होंगे कि हम बात कर रहे हैं भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार, कल्ट-क्लासिक फिल्म ‘शोले’ की।

15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई ‘शोले’ को आज 50 साल पूरे हो गए हैं। लेकिन अभी भी अगर ये फिल्म टीवी पर आती दिख जाए तो फिर गब्बर सिंह का अंत करने से पहले आगे बढ़ने का सवाल ही नहीं उठता है। फिल्म की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर किसी के ऑफिस में ‘हरीराम नाई’ का एक किरदार होना आम बात हो गई है।

‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ से लेकर ‘कितने आदमी थे’ जैसे फिल्म के कई डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर जस के तस बने हुए हैं। फिल्म की गोल्डन जुबली के मौके पर जानते हैं ‘शोले’ की मेकिंग से जुड़े किस्से और कैसे बनकर तैयार हुई भारतीय सिनेमा की ये ऐतिहासिक फिल्म।




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50 Years Of Sholay Know Top Ten Unknown Facts About Making Of This Iconic Indian Movie Of Ramesh Sippy

फिल्म ‘शोले’ में बने ठाकुर बलदेव
– फोटो : एक्स (ट्विटर)


संजीव कुमार नहीं थे ठाकुर के लिए पहली पसंद

आज ‘शोले’ का एक-एक किरदार आइकॉनिक है और उन किरदारों को निभाने वाले कलाकारों को देखकर ऐसा लगता है जैसे ये किरदार इन्हीं के लिए बने हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि फिल्म की कास्टिंग में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। फिल्म में ठाकुर का किरदार जिसे संजीव कुमार ने निभाया है। वो दरअसल पहले दिलीप कुमार को ऑफर हुआ था। लेकिन दिलीप साहब ने इस किरदार को ठुकरा दिया था। जिसके बाद संजीव कुमार ने इसे निभाया। 


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अमजद खान
– फोटो : सोशल मीडिया


ऐसे आया गब्बर सिंह के किरदार का आइडिया

गब्बर सिंह के किरदार को अगर शोले की आत्मा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि गब्बर सिंह के किरदार का आइडिया कहां से आया है? दरअसल, फिल्म के लेखक सलीम खान के पिता पुलिस में थे। उन्होंने गब्बर नाम के एक डाकू की कहानी उन्हें सुनाई थी, जो कुत्ते पालता था और पुलिस की नाक काट देता था। यहीं से सलीम खान को गब्बर सिंह के किरदार का आइडिया आया।

…तो अमजद खान नहीं, डैनी होते गब्बर सिंह

गब्बर सिंह के किरदार को जिन अमजद खान ने यादगार बना दिया, असल में उस किरदार के लिए अमजद खान मेकर्स की पहली पसंद भी नहीं थे। इस रोल के लिए पहले डैनी डेंजोंगप्पा को अप्रोच किया गया था। लेकिन वो ‘धर्मात्मा’ फिल्म के लिए पहले ही फिरोज खान से वादा कर चुके थे। इसलिए उन्हें गब्बर सिंह के रोल के लिए मना करना पड़ा। इसके बाद ये किरदार अमजद खान को मिला।

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शोले
– फोटो : इंस्टाग्राम@filmheritagefoundation


अमिताभ बच्चन नहीं, ये एक्टर था जय के लिए पहली पसंद

फिल्म में अमिताभ बच्चन ने जय का किरदार निभाया है, जिसे काफी पसंद किया गया। लेकिन इस किरदार के लिए मेकर्स पहले शत्रुघ्न सिन्हा को लेना चाहते थे। लेकिन बाद में सलीम खान ने जय के किरदार के लिए अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया।


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शोले
– फोटो : इंस्टाग्राम@filmheritagefoundation


कुछ और थी फिल्म की मूल कहानी, बाद में हुआ बदलाव

फिल्म में संजीव कुमार द्वारा निभाया गए ठाकुर बलदेव सिंह के किरदार का नाम असल में सलीम खान के ससुर का नाम था। यही नहीं सलीम-जावेद ने जब फिल्म की कहानी लिखी थी तो ये मूल कहानी एक रिटायर्ड सेना अधिकारी के बारे में थी। लेकिन बाद में इस किरदार को एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी में बदल दिया गया, जो बदला लेने के लिए दो अपराधियों को काम पर रखता है। इस फिल्म के लिए सलीम-जावेद को 10 हजार रुपये की फीस मिली थी, जो उस वक्त काफी ज्यादा थी।


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