अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने स्वतंत्र फिल्मों और निर्देशकों को उचित समर्थन न मिलने पर नाराजगी जताई है। अभिनेता का ऐसा मानना है कि स्वतंत्र फिल्में और निर्देशक भारत में प्रसिद्धि लाते हैं, लेकिन उन्हें एक त्यौहारों की तरह सेलिब्रेट किया जाता है और फिर वो गायब हो जाते हैं। उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता।
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‘स्वतंत्र फिल्मों को समर्थन मिले, तो काफी कुछ बदल सकता है’
पीटीआई के साथ हालिया बातचीत में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने स्वतंत्र फिल्मों और निर्देशकों को लेकर बात की। अभिनेता ने कहा, “अगर स्वतंत्र फिल्मों को समर्थन मिले तो बहुत कुछ हो सकता है। हम उन्हें त्यौहारों की फिल्में मानकर खारिज कर देते हैं। उन्हें लिमिटेड रिलीज मिलती है और ऐसी फिल्मों के निर्माताओं को कोई समर्थन नहीं मिलता। लेकिन ये ऐसी फिल्में हैं जो हमारे देश को प्रसिद्धि दिलाती हैं।” नवाजुद्दीन की ये प्रतिक्रिया ऐसे वक्त पर आई है जब 21 मई को कान फिल्म फेस्टिवल में अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में नीरज घेवन की ‘होमबाउंड’ का प्रीमियर होना है।
‘हमारी फिल्मों में नहीं दिखते हमारी गली-मोहल्ले के कैरेक्टर’
नवाज ने आगे कहा, “ये वे फिल्में हैं जिन्हें देखा जाता है, चाहे वह पायल कपाड़िया की फिल्में हों या नीरज घेवन की। ये फिल्में हमारे देश के लिए एक पहचान बनाती हैं क्योंकि ये जितनी लोकल हैं, उतनी ही वैश्विक भी हैं। हमारी फिल्मों में हम अपने समाज के कैरेक्टर्स को नहीं देखते हैं। हमारी फिल्मों में जो चरित्र दिखते हैं, वो हमारी गलियों और नुक्कड़ों में मौजूद नहीं हैं। अगर आप भारत के बारे में फिल्में बनाते हैं, तो वे बाहर नाम कमाती हैं क्योंकि वे असली फिल्में हैं। जो कमर्शियल और कथित बड़ी फिल्में होती हैं, वो अभी भी उस बाजार में जगह नहीं बना पाई हैं। लेकिन ये छोटे बजट की फिल्में वो कर चुकी हैं।”