Anupam Mittal: अनुपम बोले-‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ कोई सत्यमेव जयते शो नहीं, बिजनेसमैन ने यूट्यूब को दोषी बताया

Anupam Mittal: अनुपम बोले-‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ कोई सत्यमेव जयते शो नहीं, बिजनेसमैन ने यूट्यूब को दोषी बताया


रणवीर अल्लाहबादिया ने समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ पर अश्लील जोक्स कहा, उसके बाद बड़ी कंट्रोवर्सी हो चुकी है। रणवीर और समय रैना पर कई जगह एफआईआर भी हुई हैं। कोर्ट भी इन्हें फटकार चला चुका है। इस बीच शॉर्क टैंक इंडिया के जज और बिजनेसमैन अनुपम मित्तल ने यूट्यूब को भी इस मामले में दोषी ठहराया है। जानिए, क्या कहा अनुपम मित्तल ने। 


अनुपम मित्तल
– फोटो : इंस्टाग्राम

विस्तार


अनुपम मित्तल ने हाल ही में रणवीर अल्लाहबादिया मामले पर अपने विचार रखे हैं। बिजनेसमैन का कहना है कि यूट्यूबर, कंटेंट क्रिएटर्स को दोषी ठहराने से पहले यूट्यूब को दोषी बनाया जाना चाहिए। दोषी तो यूट्यूब भी है। इस प्लेटफॉर्म पर गलत चीजें बहुत ही धड़ल्ले से दिखाई जाती है। 

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रणवीर ने जो किया गलत किया

अनुपम मित्तल कहते हैं, ‘रणवीर अल्लाहबादिया और अपूर्वा ने जो कुछ भी ‘इंडियाज गाॅट लैटेंट’ शो पर कहा, वह गलत था। जो उन्होंने कहा वह एक सभ्य समाज में स्वीकार भी नहीं होना चाहिए। लेकिन इस मामले में ये लोग ही अकेले ही दोषी नहीं है। असल दोषी बिग टेक कंपनियां हैं। ये लोग अपनी जवाबदेहरी से बचते हैं। अगर टीवी, अखबार इस तरह का कंटेंट दिखाते तो क्या होगा? बवाल मच जाएगा। लेकिन सोशल मीडिया पर सब कुछ धड़ल्ले से दिखाया जाता है। 

ये कोई सत्यमेव जयते शो तो नहीं था 

अनुपम आगे कहते हैं, ‘ समय का शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ कोई सत्यमेव जयते जैसा शो तो नहीं है। इस शो का कॉन्सेप्ट ही बेइज्जती करना, अश्लील बातें करना, बेतुकी बातें करके लोगों को शॉक करना है। आप इसे पसंद करो या ना करो, इस शो का फॉर्मेट यही है।’ साथ ही अनुपम यह भी कहते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वायरल होने की दौड़ में क्रिएटर्स को दौड़ाते हैं। लेकिन जब क्रिएटर्स से कोई गलती हो जाती है, तो कंपनियां अपना पल्ला झाड़ लेती हैं। 

बच्चों को भी गलत कंटेंट दिखाया जाता है 

अनुपम मित्तल यह भी बताते हैं उन्होंने अपने सात साल के बेटे के लिए फोन में पैरेंटल लॉक लगाया हुआ, जिससे वह गलत वीडियोज ना देख पाए। लेकिन इसके बावजूद भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बच्चे को गलत कंटेंट दिखाता है। ऐसे में अनुपम सवाल करते हैं कि क्या हमारे कानून बच्चों को ऐसे अश्लील कंटेंट से बचा रहे हैं। क्यों नहीं हम उन प्लेटफॉर्म को जवाबदेह ठहरा रहे हैं। 

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