Chitrangada Singh: ‘हर फिल्म का काम समाज सुधार नहीं’, हाउसफुल 5 में महिलाओं के ऑब्जेक्टिफिकेशन पर रखी राय

Chitrangada Singh: ‘हर फिल्म का काम समाज सुधार नहीं’, हाउसफुल 5 में महिलाओं के ऑब्जेक्टिफिकेशन पर रखी राय



अमर उजाला डिजिटल से एक्सक्लूसिव बातचीत में एक्ट्रेस चित्रांगदा सिंह जो फिल्म में माया का किरदार निभा रही हैं, ने इन आलोचनाओं को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने माना कि हर फिल्म की अपनी एक टोन और सेंसिबिलिटी होती है और हर तरह के सिनेमा को एक ही चश्मे से देखना सही नहीं है। 




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Chitrangada Singh Talk About objectification of women In Film Housefull 5

चित्रांगदा सिंह
– फोटो : इंस्टाग्राम@chitrangda


हर फिल्म की अपनी टोन होती है, एक ही नजर से जज करना गलत है

चित्रांगदा सिंह ने कहा, ‘मुझे लगता है हर फिल्म अलग सेंसिबिलिटी से बनती है। उसका ह्यूमर अलग होता है, टोन अलग होता है। चाहे डायलॉग्स हों या जोक्स। ‘जाने भी दो यारों’ भी है, ‘हेरा फेरी’ भी है… हर तरह की फिल्में बनती रही हैं। 


Chitrangada Singh Talk About objectification of women In Film Housefull 5

चित्रांगदा सिंह
– फोटो : इंस्टाग्राम@chitrangda


ह्यूमर को समझने के लिए भी मैच्योरिटी चाहिए

चित्रांगदा ने इंटरनेशनल कंटेंट और क्लासिक फिल्मों का उदाहरण देते हुए कहा, ‘अगर आप ‘द बिग बैंग थ्योरी’ जैसे शोज देखें या स्टीव मार्टिन की क्लासिक फिल्में, वहां भी कई बार ऐसा ह्यूमर देखने को मिलता है। कॉमेडी में बहुत कुछ लाइटली लिया जाता है। जरूरी नहीं कि हर चीज को सीरियसली लिया जाए।’


Chitrangada Singh Talk About objectification of women In Film Housefull 5

चित्रांगदा सिंह
– फोटो : इंस्टाग्राम@chitrangda


इतने सारे रूल्स में ह्यूमर की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है

चित्रांगदा मानती हैं कि आज के समय में फिल्ममेकर्स पर बहुत से सोशल पैरामीटर्स का प्रेशर होता है। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘आजकल हर जगह यही दबाव होता है कि आप सोशली करेक्ट हों, पॉलिटिकली करेक्ट हों, जेंडर वाइज भी बायस न हों और मोरली भी सही हों। इतने सारे रूल्स में ह्यूमर की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है।’


Chitrangada Singh Talk About objectification of women In Film Housefull 5

चित्रांगदा सिंह
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


हर फिल्म का मकसद सोशल मैसेज देना नहीं होता

चित्रांगदा सिंह ये भी साफ करती हैं कि हर फिल्म का मकसद समाज को सोशल मैसेज देना नहीं होता। उनका कहा है, अक्षय कुमार की फिल्म ‘एयरलिफ्ट’, ‘पैडमैन’, ‘केसरी’ जैसी फिल्में हैं जो बहुत स्ट्राॅन्ग मैसेज देती हैं लेकिन हर फिल्म वैसी नहीं हो सकती। ‘हाउसफुल’ जैसी फिल्में एंटरटेनमेंट के लिए बनती हैं। हर सिनेमा को एक ही तरीके से जज करना सही नहीं है।’ 


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