पंजाबी सिनेमा में विवाद कोई नई बात नहीं है। दिलजीत दोसांझ की फिल्म ‘सरदार जी 3’ को लेकर जो हाल फिलहाल में विवाद चल रहा है, वो केवल इस फिल्म तक ही सीमित नहीं है। इससे पहले भी कई पंजाबी फिल्मों को लेकर बड़े पैमाने पर बहस और विवाद सामने आए हैं। आइए जानते हैं उन फिल्मों के बारे में और उनके विवाद की वजहें।

2 of 6
अकाल
– फोटो : IMDb
अकाल (2025)
गिप्पी ग्रेवाल की फिल्म ‘अकाल’ ने रिलीज होते ही धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप झेले। फिल्म की कहानी में धार्मिक प्रतीकों और कथानकों के इस्तेमाल को लेकर सिख समुदाय के कुछ वर्गों ने आपत्ति जताई। विवाद इतना बढ़ा कि फिल्म के कई शो कैंसिल करने पड़े और इसकी आलोचना भी खूब हुई। ये फिल्म इसी साल रिलीज हुई थी।

3 of 6
शूटर
– फोटो : IMDb
शूटर (2022)
2022 में आई फिल्म ‘शूटर’ को लेकर भी विवाद हुआ था। इस फिल्म पर गंभीर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगा। आलोचकों और सोशल एक्टिविस्ट्स ने माना कि फिल्म में हिंसा को ग्लोरिफाई किया गया है, जो युवा दर्शकों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसी वजह से फिल्म विवादों के घेरे में आ गई थी।

4 of 6
साड्डा हक
– फोटो : IMDb
साड्डा हक (2013)
‘साड्डा हक’ फिल्म पर खालिस्तानी आंदोलन को ग्लोरिफाई करने के आरोप लगे थे। फिल्म में राजनीतिक संदेश इतने साफ थे कि इसे कुछ राजनीतिक समूहों ने विरोध का विषय बना लिया। 2013 में रिलीज हुई इस फिल्म ने पंजाब की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों पर चर्चा को हवा दी, लेकिन साथ ही कई सवाल भी खड़े कर दिए।

5 of 6
नानक शाह फकीर
– फोटो : IMDb
नानक शाह फकीर (2015)
2015 में आई फिल्म ‘नानक शाह फकीर’ सबसे ज्यादा विवादित रही। इस फिल्म में गुरु नानक देव जी और दूसरे सिख गुरुओं को मानव अभिनेताओं द्वारा प्रस्तुत करने का फैसला लिया गया था, जिसको लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और अकाल तख्त ने तीव्र विरोध जताया। फिल्म में आरिफ जकारिया, पुणेत सिक्का, आदिल हुसैन और नरेंद्र झा जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था। यह फिल्म गुरु नानक के जीवन पर आधारित है।