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John Abraham Exclusive: स्याह किरदारों में मेरे भीतर का कलाकार खिलता है, दर्शक भी इनमें खूब प्यार देते हैं

John Abraham Exclusive: स्याह किरदारों में मेरे भीतर का कलाकार खिलता है, दर्शक भी इनमें खूब प्यार देते हैं



जॉन अब्राहम खूब पढ़ते हैं। फिल्मों की पटकथाएं पढ़ना तो खैर उनका काम ही है। लेकिन, इनमें से भी जिनमें वह खुद को फिट नहीं पाते हैं तो कभी आयुष्मान तो कभी हर्षवर्धन को हीरो बना देते हैं। और, अब तो गुस्सा भी कम करते हैं। जॉन से ये खास मुलाकात की ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने।




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जॉन अब्राहम
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


‘धूम’ से किरदार में कलाकार को खो देने का जो हुनर आपने पकड़ा, वह अब तक चला आ रहा है, इसे कैसे बनाए रखते हैं आप?

फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ के उदाहरण से मैं इस बात को समझाता हूं कि मैंने जब भी कोई फिल्म पूरी पटकथा पढ़ने के साथ शुरू की है, मैंने उस फिल्म के किरदार को जिया है। जैसे कि आपने इस फिल्म के पोस्टर पर लेखक के नाम की अहमियत पर जोर दिया तो इसके लेखक रितेश शाह भी बहुत अच्छे लेखक हैं। मुझे सबसे पहले इसकी पटकथा ही अच्छी लगी। उसके बाद मैं निर्देशक शिवम नायर से मिला। फिर हमने इस किरदार को समझने के लिए कार्यशालाएं कीं।


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जॉन अब्राहम
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


और, एक्टिंग कोच सौरभ सचदेव से भी आपने ट्रेनिंग ली?

जो किरदार मैं इस फिल्म में निभा रहा हूं, उसकी बुनावट पर काम करने के लिए मैंने सौरभ सचदेव से दो हफ्ते की ट्रेनिंग ली। और, उसके बाद फिर से कार्यशालाएं की, तब जाकर हम फिल्म की शूटिंग करने गए। फिल्म को बनाने से पहले की जो प्रक्रिया होनी चाहिए, उसे कायदे से इसमें अपनाया गया है। और, इसमें शूटिंग से करीब तीन गुना समय भी लगा।


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जॉन अब्राहम
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


ऐसी भी फिल्में होती होंगी जहां सिनेमा की बजाय प्रोजेक्ट बनाया जाता होगा?

आमतौर पर हम लोग क्या करते हैं, कि एक प्रपोजल (प्रस्ताव) बनाते हैं। इस अभिनेता को ले लो, इसका कलेक्शन इतना हो जाएगा। इस हीरोइन को ले लो, तो इतनी गारंटी हो जाएगी। इसके बाद उनके हिसाब से फिल्म लिखते हैं। मैं सच बताऊं आपको, ये प्रपोजल वाली फिल्में जब भी मैंने की हैं, वे चली नहीं।


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जॉन अब्राहम
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


आप इतनी सारी स्क्रिप्ट पढ़ते हैं, क्या उन्हीं में से कहानियां लेकर नए सितारे लॉन्च कर देते हैं?

हां, बिल्कुल। वहीं से मैं कलाकारों को तलाश करके लाता हूं क्योंकि मैं जब इसे पढ़ रहा होता हूं तो मुझे पता होता है कि ये मेरे लिए है ही नहीं। इसके लिए दूसरा एक्टर बेहतर रहेगा। तो मैं जाकर इन कलाकारों से मिलता भी हूं। अक्सर कलाकार हां ही करते हैं, लेकिन एकाध बार न भी सुनने को मिलती है। लेकिन, ये हमारे कारोबार का हिस्सा है।


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