प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म ‘फुले’ का दर्शक बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन अब इस फिल्म के चाहने वालों के लिए झटका देने वाली खबर है। क्योंकि रिलीज से ठीक पहले फिल्म को आगे बढ़ा दिया गया है। अब ये फिल्म अपनी निर्धारित तिथि 11 अप्रैल को रिलीज नहीं होगी। फिल्म की रिलीज आगे बढ़ने की एक प्रमुख वजह फिल्म को लेकर उठे राजनीतिक विवाद को माना जा रहा है। जिस वजह से फिल्म अब दो हफ्ते आगे बढ़ गई है।
दो हफ्ते आगे बढ़ी रिलीज
समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्री फुले के जीवन पर आधारित ‘फुले’ पहले 11 अप्रैल को रिलीज होनी थी। लेकिन अब मेकर्स ने ये साफ कर दिया है कि फिल्म 11 अप्रैल को नहीं बल्कि 25 अप्रैल को रिलीज होगी। फिल्म की रिलीज से ठीक पहले अचानक फिल्म को आगे बढ़ाने की वजह तो अभी साफ नहीं हुई है। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि इसके आगे बढ़ने की वजह फिल्म को लेकर उठ रहा विवाद हो सकता है। फिल्म में ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जाति और लैंगिक अन्याय को लेकर किए गए संघर्ष को दिखाया गया है।
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ब्राह्मण समुदायों ने जताई आपत्ति
फिल्म को लेकर कुछ एक ब्राह्मण समुदायों ने आपत्ति जताई। इनका कहना है कि फिल्म ब्राह्मणों को बदनाम करने का प्रयास करती है। साथ ही जातिवाद को बढ़ावा देती है। ब्राह्मण समुदायों की ओर से ये भी कहा गया कि फिल्म में अश्वेत ब्राह्मण समुदाय की मदद को दिखाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि फिल्म की कहानी एकतरफा जान पड़ती है, जबकि इसे समावेशी होना चाहिए।
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सेंसर बोर्ड ने फिल्म में बदलाव करने को कहा
हालांकि, मेकर्स की ओर से इसे गलतफहमी का शिकार बताया गया। इसको लेकर मेकर्स ने महाराष्ट्र सरकार में भी बात की। बाद में सेंसर बोर्ड यानी कि सीबीएफसी की ओर से निर्माताओं को फिल्म में बदलाव करने को कहा गया। सेंसर बोर्ड ने फिल्म से जाति व्यवस्था पर चर्चा करने वाले वॉयसओवर को हटाने को कहा। साथ ही ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’ और ‘जाति की मानुस व्यवस्था’ जैसे शब्दों को हटाने की भी मांग की है, जिन्हें संवेदनशील माना जाता है।