Pranjal Khandhdiya Interview: बड़ी स्टार कास्ट के साथ सब फिल्म बनाते हैं, हम बड़े विचारों के साथ बनाने आए हैं

Pranjal Khandhdiya Interview: बड़ी स्टार कास्ट के साथ सब फिल्म बनाते हैं, हम बड़े विचारों के साथ बनाने आए हैं



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प्रांजल खंधाड़िया
– फोटो : अमर उजाला

गुजरात के खंधाड़िया जमींदार परिवार का सिनेमाघर कारोबार में एक समय दबदबा रहा है। जमींदारी जाने और उसके बाद परिवार के सिनेमाघर बिकने के बाद इस परिवार ने सिनेमा से तौबा कर ली। लेकिन, प्रांजल खंधाड़िया को सिनेमा अपनी तरफ खींच ही लाया। रेड चिलीज एंटरटेनमेंट, सोनी टेलीविजन और सोनी पिक्चर्स में लंबे समय तक काम करने के बाद प्रांजल अब खुद स्वतंत्र फिल्म निर्माता बन चुके हैं। प्रांजल से ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने की ये लंबी मुलाकात।




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Pranjal Khandhdiya Interview by Pankaj Shukla Everyone makes films with big star cast we make with big ideas

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प्रांजल खंधाड़िया
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

आपके पिताजी आपके सिनेमा में आने के धुर विरोधी थे, लेकिन आपने सिनेमा में इतना नाम फिर भी कमा लिया? ये कैसे हुआ?

दादाजी की जमींदारी जाने के बाद परिवार ने जो मुसीबतें झेलीं, उसके चलते पिताजी का ये फैसला था कि हमारा परिवार अब सिनेमा से दूर रहेगा। लेकिन, शायद दादा के गुण पोते में आ ही जाते हैं। मुझे कॉलेज करने के बाद एमबीए करना था। सिम्बॉयसिस में सेलेक्शन हुआ और मैंने मास कम्युनिकेशन का ऑप्शन चुन लिया। पिताजी यही समझते रहे कि मैं एमबीए कर रहा हूं। स्कॉलरशिप मिली, इनाम, इकराम भी मिले लेकिन पिताजी नाराज हो गए। और, उनकी ये नाराजगी आज तक कायम है।


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प्रांजल खंधाड़िया
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

पढ़ाई लिखाई करके सिनेमा में आने वालों की संख्या बीते 25 साल में काफी बढ़ी है, आपने भी उन्हीं दिनों शुरुआत की?

जी, मैंने साल 2000 में मास कम्युनिकेशन पूरा किया। सिनेमा तो हमारे घर में सोचना ही मुश्किल था, उस पर बात तो किसी से मैं क्या ही करता। माना जाता था कि कुछ चुनिंदा परिवार हैं, वही सिनेमा चला रहे हैं और उन तक पहुंच बनाने में लोगों की जिंदगी निकल जाती थी। मुझे घर संभालना था, पिताजी रिटायर हो रहे थे तो मेरे सामने सबसे पहले मौका आया इवेंट्स इंडस्ट्री में काम पाने का। उन्हीं दिनों माइकल जैक्सन को भारत लाकर विजक्राफ्ट ने धूम मचा दी थी। मैं विजक्राफ्ट के साथ पहले से ही छोटे मोटे काम शुरू कर चुका था और जब सिम्बॉयसिस से पास आउट किया तो विजक्राफ्ट में मेरे बॉस और मेंटॉर शबास जोसेफ ने मुझे इवेंट्स के निर्देशन का मौका दिया। इसके बाद टीवी पर दिखाए जाने वाले इवेंट्स निर्देशित करने लगा। 


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प्रांजल खंधाड़िया
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

इंडियन आयडल से जुड़ने का मौका भी तभी मिला आपको?

साल 2004 में जब इंडियन आइडल वन शुरू हुआ तो उसके जो ऑडिशन हुए, वह काम मैंने ही संभाला था। देश भर के कोई 40 शहरों में जाकर हमने टैलेंट ढूंढे थे, उनके ऑडिशन लिए थे। वहां से टेलीविजन में मेरी तरक्की होती गई और अगले आठ साल तक मैंने पागलों की तरह दिन रात काम किया। दिन के दो शोज शूट करते थे, फिर रात में एडिट करते थे, लेकिन ये भी लगने लगा कि फिर मैं दिन रात वही काम किए जा रहा हूं। कुछ नया नहीं रच पा रहा हूं।


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प्रांजल खंधाड़िया
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

आपने शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज के लिए भी तो शोज बनाए थे उन दिनों?

हां, ये बस ऐसे ही हो गया। शायद किस्मत मेहरबान रही होगी। शाहरुख खान से मुलाकात हुई। उनकी एक कंपनी थी, रेड चिलीज ईडियट बॉक्स। बॉबी चावला, समर खान जैसे धुरंधर वहां थे। मुझे उनका टीवी डिवीजन सेट करने की जिम्मेदारी मिली। हमने कोक स्टूडियोज के कई सीजन बनाए। अभी तो ये कॉमेडी शो हर चैनल पर दिखते हैं, हमने देश का पहला बड़ा कॉमेडी शो फराह खान के साथ बनाया था, ‘तेरे मेरे बीच में’। फिर, ‘लिविंग विद ए सुपरस्टार’ बनाया। एमटीवी पर तब एक एक घंटे वाली पिक्चरें खूब रिलीज होती थीं, वे हम बना रहे थे। 


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