Prithviraj Sukumaran: मुझ पर ईश्वर की विशेष कृपा रही है, कोई शक्ति है जो मेरे लिए बड़े मौके सजाकर लाती रहती है

Prithviraj Sukumaran: मुझ पर ईश्वर की विशेष कृपा रही है, कोई शक्ति है जो मेरे लिए बड़े मौके सजाकर लाती रहती है



बीते 22 साल से अभिनय कर रहे अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन को हिंदी सिनेमा के दर्शकों ने फिल्म ‘अय्या’ से पहचानना शुरू किया। ‘सालार’ और ‘बड़े मियां छोटे मियां’ जैसी फिल्मों ने उनकी पहचान एक कद्दावर अभिनेता के तौर पर बनाई है। फिल्म ‘लुसिफर’ से पृथ्वीराज ने बतौर निर्देशक अपनी नई पारी शुरू की और तब से मलयालम सिनेमा का बड़ा नाम बन चुके अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन की बतौर निर्देशक तीसरी फिल्म ‘एल 2 एम्पुरान’ इसी हफ्ते रिलीज होने को है। छह साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘लुसिफर’ की ये सीक्वल है। पृथ्वीराज सुकुमारन से कोच्चि में ये खास बातचीत की ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने।




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Prithviraj Sukumaran exclusive interview with Pankaj Shukla Lucifer L2 Empuraan Bro Daddy Rajinikanth Mohanlal

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पृथ्वीराज सुकुमारन इंटरव्यू
– फोटो : अमर उजाला


यहां कोच्चि में मैंने लोगों से एम्पुरान का जो मतलब पूछा तो मुझे बताया गया ये कुछ कुछ राजा से बड़ा और भगवान से छोटा जैसा है, यही मतलब है इस शब्द का? इसका हिंदी में विस्तार कैसे कर रहे हैं?

हां, कह सकते हैं, ये कहानी इसी तरह के एक इंसान की है। फिल्म ‘एल 2 एम्पुरान’ देखते समय शुरू के 20 मिनट तो आपको यही लगेगा कि आप एक हिंदी फिल्म देख रहे हैं। इसे हमने कुछ इस तरह बनाया है कि फिल्म का जो किरदार जहां का है, वहीं की भाषा बोल रहा है। अगर ब्रिटेन की जासूसी एजेंसी एमआई 6 के एजेंट को हम मलयालम बोलते दिखाएं तो बहुत अजीब लगेगा। इस फिल्म का 20 फीसदी हिस्सा हिंदी में है और हिंदी के ये सारे संवाद मलयालम के अलावा तमिल, तेलुगु और कन्नड़ संस्करणों में भी हिंदी में ही रहने वाले हैं। मुझे लगता है कि दर्शक अब इतने समझदार हो गए हैं कि वे एक से अधिक भाषाओं के संवाद समझ लेते हैं।


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‘एल 2 एम्पुरान’ टीजर लॉन्च
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


और, ये कहानी एक फ्रेंचाइजी के तौर पर बनेगी, ये शुरू से तय था?

हां, इस कहानी पर हमने काम साल 2016-17 में शुरू किया। अभिनेता मुरली गोपी की ये कहानी मोहन लाल सर को काफी पसंद आई थी। तभी हमने इसे तीन हिस्सों में बनाने का फैसला किया था, लेकिन एक नवोदित निर्देशक के रूप में अगर तब मैं ये कहता है कि मैं बतौर निर्देशक एक ऐसी कहानी से शुरूआत करने जा रहा हूं जिस पर तीन फिल्में बनेंगी तो शायद लोग हंसते मुझ पर। तब पार्ट वन, पार्ट 2 का इतना चलन भी नहीं था। फिर ‘लुसिफर’ के सिनेमाघरों में 50 दिन पूरे होने के जश्न पर हमने इस फ्रेंचाइजी का खुलासा किया।


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पृथ्वीराज सुकुमारन इंटरव्यू
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


बतौर निर्देशक फिल्म लुसिफर को जो पहला सीन आपने फिल्माया, उसका एहसास याद है?

वह दिन मैं कभी नहीं भूल सकता। इस सीन में मोहन लाल सर और फाजिल सर हैं। मैं चर्च की एक बेंच पर बैठा हुआ है। मलयालम सिनेमा के ये दो दिग्गज सितारे मेरे सामने हैं और मैं उन्हें सीन समझा रहा हूं। दोनों मुझसे पूछते हैं कि तो बताएं, हमें इसे कैसे करना है? वह पल याद करने से ही सिहरन होती है। मैं खुद को एक सौभाग्यशाली फिल्मकार मानता हूं और ये भी मानता हूं कि कोई तो अदृश्य शक्ति है जो मेरा इतना ख्याल रखती है और मेरे लिए इस तरह के मौके तैयार करती रहती हैं। 


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पृथ्वीराज सुकुमारन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


मलयालम सिनेमा से मोहन लाल का परिचय कराने वाले फाजिल ही हैं और आपकी खोज भी उन्होंने ही की..

फाजिल सर ने एक बार मेरी मां को फोन किया कि मैं पृथ्वीराज का स्क्रीनटेस्ट लेना चाहता हूं। उन दिनों में पढ़ाई ही कर रहा था। एलप्पी में इसकी शूटिंग उन्होंने की लेकिन किसी वजह से यह फिल्म बन नहीं सकी। बाद में यही स्क्रीन टेस्ट निर्देशक रंजीत सर के पास गया और उन्होंने मुझे फिल्म ‘नंदनम’ (2002) में पहला मौका दिया।


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