लेखक, निर्देशक सीमा कपूर की आत्मकथा ‘यूं गुजरी है अब तलक’ का भव्य बुक लॉन्च बुधवार को यहां जे डब्ल्यू मैरियट होटल में शानदार तरीके से सितारों की जगमगाहट के साथ हुआ। यह इवेंट सिर्फ एक किताब के लांच का नहीं, बल्कि उनके जीवन के सफर को सम्मान देने का मौका था। कार्यक्रम के दौरान, जब सीमा कपूर ने ओम पुरी को याद करते हुए कहा, “मैंने करवट बदल कर देखा है, याद मुझे तुम तब भी आते हो।” तो माहौल भावुक हो गया और उनकी आंखें भर आई ।
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सीमा कपूर बुक लॉन्च इवेंट
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
सीमा कपूर की आत्मकथा ‘यूं ही गुजरी है अब तलक’ हाल ही में प्रकाशित हुई है। इस किताब में उन्होंने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्ष और यादगार पलों को संजोया है। इवेंट के दौरान, उन्होंने ओम पुरी को याद करते हुए भावुक पंक्तियां कहीं, “जो न मिल सके वही बेवफा, ये बड़ी अजीब सी बात है, जो चल गए मुझे छोड़कर, वही आज तक मेरे साथ हैं।” सीमा बचपन से ही लेखन में रुचि रखती थी और इस किताब को पूरा करने मे उन्हे आठ साल लगे। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इसके बारे मे सिर्फ ओम पुरी से साझा किया था और इसे गुप्त रखा, यहां तक कि अपने परिवार से भी।
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सीमा कपूर बुक लॉन्च इवेंट
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
सीमा कपूर कहती हैं, “यह किताब का नाम का मैंने चुना क्योंकि मुझे ये नदी के बहाव की तरह लगता है। यूं गुजरी है अब तलक, आगे और गुजरनी बाकी है।” ओम पुरी के जाने के बाद, उन्होंने इसे पूरा करने में खुद को झोंक दिया और उनके साथ बिताए लम्हों को भी इसमे सहेजा है । चार्ली चैपलिन और गोर्की जैसी हस्तियों की आत्मकथाएं पढ़ने के बाद, उन्हें महसूस हुआ कि हर सच्चा इंसान संघर्षों से गुजरकर ही अपनी राह बनाता है।
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सीमा कपूर बुक लॉन्च इवेंट
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
रघुवीर यादव जो सीमा को अपनी बहन मानते हैं, उन्होंने कहा, “तकलीफों में हंसना मैने गुड्डू (सीमा) से सीखा है।” निर्देशक बोनी कपूर ने भावुक होकर स्वीकार किया कि सीमा कपूर से देर से मिलने का अफसोस रहेगा, लेकिन जब भी उनसे मिले, उन्होंने अपनापन महसूस किया। उन्होंने जान्हवी और खुशी कपूर को सही उर्दू और हिंदी सिखाने के लिए सीमा का आभार भी जताया। लेखक, निर्देशक रूमी जाफरी ने कहा कि उन्होंने सीमा को हमेशा मुश्किलों मे भी मुस्कुराते देखा है।
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सीमा कपूर बुक लॉन्च इवेंट
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
अभिनेता अन्नू कपूर ने अपनी बहन के निस्वार्थ स्वभाव की तारीफ करते हुए कहा, “मुझे जलन होती है कि यह हर मुसीबत में हंसकर उसका सामना कैसे कर लेती है और खुद तकलीफ में रहकर भी दूसरों की मदद के लिए आगे रहती है।” परेश रावल ने इच्छा जताई कि वह सीमा द्वारा लिखी किसी कहानी में अभिनय करना चाहते है, जबकि दिव्या दत्ता ने कहा कि मुंबई में उन्हें जो प्यार सीमा दीदी से मिला, वह किसी और से नही मिला। सीमा के सबसे छोटे भाई ने भावुक होते हुए कहा, “मां कहती थी, असली मां तेरी सीमा है, मैंने तो सिर्फ जन्म दिया है। उनकी दुनिया मां और मुझसे शुरू होती थी और हम पर ही खत्म।” इस कार्यक्रम मे हर किसी ने सीमा की हिम्मत, स्नेह और संघर्ष को सराहा, जिससे यह आयोजन यादगार बन गया।