हिंदी के जासूसी उपन्यास पढ़ने वाले पाठकों में शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसने जासूसी उपन्यास लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक का नाम नहीं सुना होगा। लेकिन, ये शायद ही किसी को पता होगा कि 85 साल के हो चुके पाठक अब हिंदी मनोरंजन जगत में बतौर लेखक डेब्यू करने जा रहे हैं। जी हां, हिंदी के ही एक और मशहूर जासूसी उपन्यास लेखक वेद प्रकाश शर्मा की तरह अब पाठक के दो उपन्यासों पर भी वेब सीरीज बनने जा रही है।
जेम्स बॉन्ड से की शुरुआत
19 फरवरी 1940 को खेमकरन, पंजाब में जन्मे सुरेंद्र मोहन पाठक ने अपनी नौकरी के समय ही अतिरिक्त आमदनी के लिए अंग्रेजी उपन्यासों का हिंदी तर्जुमा शुरू कर दिया था। तब वह कोई 20 साल के आपसास के रहे होंगे और उनको जो पहला काम मिला, वह था इयान फ्लेमिंग के लिखे जेम्स बॉन्ड के जासूसी उपन्यासों का आम बोलचाल की हिंदी में अनुकूलन। मामला जम गया तो प्रकाशकों ने उनसे जेम्स हेडली चेज के उपन्यासों को भी हिंदी में ढलवाना शुरू कर दिया। पाठक ने अपनी खुद की भी एक जेम्स बॉन्ड सीरीज लिख रखी है, हालांकि उनका अब मानना है कि ऐसा करना कानूनन ठीक नहीं है, ये तब उन्हें बताने वाला कोई नहीं था।
सात राज्यों की पुलिस को विमल की तलाश
सुरेंद्र मोहन पाठक के उपन्यासों पर वेब सीरीज बनने का मामला हाल ही में तब सामने आया जब मुंबई में इस बाबत निर्माताओं के वकील ने एक नोटिस जारी किया। जानकारी के मुताबिक अब से कोई 54 साल पहले प्रकाशित सुरेंद्र मोहन पाठक के दो उपन्यासों, ‘मौत का खेल’ व ‘दौलत और कानून’ पर फिल्म या वेब सीरीज बनाने की बात चल रही है। ये दोनों उपन्यास साल 1971 में क्रमश: जनवरी और मार्च के महीनो में प्रकाशित हुए बताए जाते हैं। विमल सीरीज के इन उपन्यासों की धाक ऐसी रही है कि ये उपन्यास आज भी इंटरनेट के लोकप्रिय उपन्यासों की सूची में अपनी जगह बनाए हुए हैं। विमल खुद एक अपराधी है। देश के सात राज्यों में वांछित है। लेकिन, रॉबिनहुड जैसी उसकी इमेज ने उसे मुंबई के अंडरवर्ल्ड के खिलाफ ला खड़ा किया है।
एडवांस में मिली मुकम्मल रकम
अब तक करीब 300 उपन्यास लिख चुके सुरेंद्र मोहन पाठक इस बारे में संपर्क किए जाने पर बताते हैं, “मेरे विमल सीरीज के शुरुआती दो उपन्यासों पर वेब सीरीज बननी प्रस्तावित है। मुझे निर्माता की तरफ से प्रस्ताव हासिल हुआ था लेकिन मैं शुरू में प्रस्ताव के प्रति उत्साहित नहीं था क्योंकि निर्माता का मैंने कभी नाम भी नहीं सुना था। छह महीने तक लेखक और प्रकाशक में पिंग पोंग चली जिसका आखिर नतीजा सुखद निकला। निर्माता बहुत अकामोडेटिंग निकला, उसने मेरी हर शंका का समाधान किया, मेरी मर्जी के मुताबिक अपने एग्रीमेंट में निसंकोच तब्दीलियाँ कीं और सब से बड़ी बात, एग्रीमेंट में निर्धारित मुकम्मल रकम एडवांस में अदा की। निर्माता का नाम पीयूष दिनेश गुप्ता है और उनकी फिल्म निर्मात्री कंपनी का नाम एनएमकेएच प्रोडक्शंस है। निर्देशक का नाम मुझे नहीं मालूम।”
पहली कहानी 1959 में प्रकाशित
यहां, गौरतलब ये भी है कि सुरेंद्र मोहन पाठक की पहली कहानी मनोहर कहानियां नामक पत्रिका में साल 1959 में प्रकाशित हुई थी। उनका पहला उपन्यास है, ‘पुराने गुनाह, नए गुनाहगार’ जो एक काल्पनिक अपराध कथा पत्रिका नीलम जासूस में साल 1963 में प्रकाशित हुआ। सुरेंद्र मोहन पाठक के उपन्यासों ‘मौत का खेल’ व ‘दौलत और कानून’ के अधिकार जिन निर्माताओं ने खरीदने की प्रकिया शुरू की है, उनका प्रतिनिधित्व एडवोकेट सुरेश पुजारी कर रहे हैं।