इंदौर के राजा और सोनम रघुवंशी की कहानी ने सबको हिला कर रख दिया है। पत्नी सोनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की, जिससे हर कोई दंग रह गया। इस तरह की घटनाएं फिल्मों में भी कई बार देखी गई हैं, जहां धोखा, साजिश और हत्या की कहानियां दर्शाई गई हैं। आइए जानते हैं ऐसी कुछ चर्चित फिल्मों के बारे में जिनमें हर मोड़ पर कुछ ऐसा ही धोखा और विश्वासघात मिलता है।
जिस्म
साल 2003 की फिल्म ‘जिस्म’ भी पति की हत्या की साजिश पर आधारित है। यहां एक खूबसूरत और चालाक महिला अपने अमीर पति की हत्या करवाने के लिए अपने प्रेमी को फंसाती है। कबीर लाल नाम के वकील इस साजिश में फंस जाता है, लेकिन अंत में सच्चाई सामने आती है। यह फिल्म प्यार के बहाने किए गए अपराध और लालच की कहानी बयां करती है। इस फिल्म जॉन में अब्राहिम और बिपाशा बसु मुख्य किरदार में थे।
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कर्ज
इसी तरह साल 1980 की मशहूर फिल्म ‘कर्ज’ में भी पति की हत्या की साजिश दिखाई गई थी। अमीर रवि वर्मा की अपनी पत्नी कामिनी द्वारा संपत्ति हड़पने के लिए हत्या कर दी जाती है। फिर कहानी पुनर्जन्म की अवधारणा के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां न्याय की तलाश में नया जन्म हुआ व्यक्ति साजिश का बदला लेता है। इस फिल्म में ऋषि कपूर, सिमी गरेवाल और टीना मुनीम जैसे कलाकार थे।
लोग क्या कहेंगे
फिल्म ‘लोग क्या कहेंगे’ (1982) सामाजिक ड्रामा है, जिसमें एक महिला के मानसिक संघर्ष और सामाजिक दबावों को दिखाया गया है। इसमें महिला अपने पति की हत्या तक कर देती है, लेकिन यह हत्या अधिकतर मानसिक असंतुलन और परिवार के तनाव के कारण होती है। शबाना आजमी ने इस फिल्म में दमदार अभिनय किया है, जो समाज की कठोर सोच और महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाती है।
‘फरेब’
साल 2005 में आई फिल्म ‘फरेब’ में भी इसी तरह की कहानी को दिखाया गया था। इस इरोटिक थ्रिलर में शिल्पा शेट्टी, शमिता शेट्टी और मनोज बाजपेयी मुख्य भूमिका में थे। कहानी में एक डॉक्टर और उसकी पत्नी के रिश्तों में जब पड़ोसी महिला की एंट्री हो जाती है, तो अफेयर और धोखे की घटनाएं सामने आती हैं। जब पत्नी को पति की बेवफाई का पता चलता है, तो दोनों के बीच तनाव गहराता है और एक दिन अचानक पड़ोसी महिला की हत्या हो जाती है। इसके बाद जब एक-एक कर मामले की परतें खुलती हैं तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
इन फिल्मों में पति की हत्या या हत्या की साजिश को अलग-अलग कारणों से दिखाया गया है, चाहे वह संपत्ति का लालच हो, धोखा हो या फिर मानसिक संघर्ष। ये कहानियां समाज की जटिलताओं को पर्दे पर उजागर करती हैं और दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि रिश्तों में कभी-कभी कितनी गहराई और अंधेरा होता है।