The Roshans: ‘ताजमहल’ और ‘चित्रलेखा’ के पोस्टरों की दिलचस्प कहानी, रोशन परिवार ने इसलिए जारी किया खास विज्ञापन

The Roshans: ‘ताजमहल’ और ‘चित्रलेखा’ के पोस्टरों की दिलचस्प कहानी, रोशन परिवार ने इसलिए जारी किया खास विज्ञापन



संगीतकार रोशन की कहानी तब तक मुकम्मल नहीं होती है जब तक कि इसमें हिंदी सिनेमा की दो क्लासिक फिल्मों ‘ताजमहल’ (1963) और ‘चित्रलेखा’ (1964) का जिक्र नहीं होता है। रोशन परिवार के दबदबे की जहां तक बात है तो इस परिवार पर बनी डॉक्यूमेंट्री से साफ पता चलता है कि संगीतकार राजेश रोशन की दो अहम फिल्मों ‘जूली’ और ‘याराना’ के फुटेज ये लोग नेटफ्लिक्स के लिए बनी डॉक्यूमेंट्री के लिए हासिल नहीं कर सके। रोशन की संगीतबद्ध फिल्में ‘ताजमहल’ (1963)  और ‘चित्रलेखा’ (1964) के भी इसमें पोस्टर ही दिखे।




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Roshan family special ad to thanks nadiadwala for poster images of taj mahal and Chitralekha in documentary

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द रोशंस
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री ‘द रोशन्स’ 17 जनवरी 2025 को रिलीज हुई। निर्देशक शशि रंजन द्वारा बनाई गई यह डॉक्यूमेंट्री बॉलीवुड के प्रसिद्ध रोशन परिवार की संगीत और सिनेमा में शानदार यात्रा को बयां करती है। इस डॉक्यूमेंट्री में क्लासिक फिल्मों ‘ताजमहल’ (1963) और ‘चित्रलेखा’ (1964) के पोस्टर्स का उपयोग किया गया है, जिसकी अनुमति के लिए रोशन परिवार ने नाडियाडवाला परिवार का तहे दिल से आभार जताया। और, ये आभार जताने के लिए रोशन परिवार ने बाकायदा मुंबई की फिल्म ट्रेड पत्रिकाओं में इश्तहार जारी किए हैं।


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राजेश रोशन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री ‘द रोशन्स’ उस विरासत को सलाम करती है, जिसने सुरों की दुनिया को नई ऊंचाइयां दी। यह डॉक्यूमेंट्री संगीतकार रोशन लाल नागरथ की धुनों से शुरू होकर उनके बेटे राकेश रोशन की ब्लॉकबस्टर फिल्मों,  राजेश रोशन के सुरीले संगीत और पोते ऋतिक रोशन के दमदार अभिनय तक के सफर को बयां करती है। इसे चार एपिसोड मे विभाजित किया गया है। इसमें उन संघर्षों, सफलताओं और अनदेखे पलों को संजोया गया है, जिन्होंने रोशन परिवार को बॉलीवुड का एक प्रतिष्ठित नाम बना दिया। 


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रोशन परिवार
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


रोशन परिवार की तरफ से जारी विज्ञापन में कहा गया है, “संगीत और सिनेमा के जादुई संगम को और प्रामाणिक बनाने के लिए हम स्वर्गीय श्री इब्राहिम भाई नाडियाडवाला,  श्रीमती फिरोजा इब्राहीम नाडियाडवाला,  श्री मजहर इब्राहिम नाडियाडवाला और श्री अबरार इब्राहीम नाडियाडवाला के प्रति गहरा आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने अपनी दो ऐतिहासिक फिल्मों ‘चित्रलेखा’ (1964) और ‘ताज महल’ (1963) के पोस्टर्स को डॉक्यूमेंट्री में स्थायी रूप से उपयोग करने की अनुमति दी, वह भी पूर्णतः निःशुल्क।” इन पोस्टर्स का जुड़ना न केवल ‘द रोशन्स’ की ऐतिहासिक सुंदरता को निखारता है, बल्कि दर्शकों को उस स्वर्णिम दौर की सैर भी कराता है, जब भारतीय सिनेमा में संगीत, प्रेम और निर्देशन का बेजोड़ संगम देखने को मिला था। 


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राकेश रोशन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई


संगीत की दुनिया में रोशन लाल नागरथ, जिन्हें सब प्यार से रोशन के नाम से जानते हैं, उन्होंने अपनी बेमिसाल धुनों से बॉलीवुड को एक नया अंदाज दिया। उनका संगीत इतना गहरा और मधुर था कि हर धुन सीधे दिल में उतर जाती है। 1950 के दशक मे उन्होंने मोहम्मद रफी, तलत महमूद और मुकेश जैसे महान गायकों के साथ काम किया, लेकिन 1960 का दशक उनके लिए स्वर्ण युग साबित हुआ। इस दौर में आई उनकी ‘बरसात की रात’ सुपरहिट रही, जिसके गाने आज भी संगीत प्रेमियों की जुबान पर हैं। इसके बाद ‘आरती’ (1962) और ‘चित्रलेखा’ (1964) जैसी फिल्मो में उन्होंने ऐसी धुनें दी, जो वक्त के साथ और भी अनमोल होती गईं। उनकी बनाई धुन “जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा” और “संसार से भागे फिरते हो” आज भी लोगों के दिलों मे बसती है। उनकी इस विरासत को राकेश रोशन ने बतौर निर्देशक अपनी हिट फिल्मों ‘खून भरी मांग’ और ‘करण अर्जुन’ के जरिए आगे बढ़ाया।


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